।।गणतंत्र दिन निम्मित काही शेर।।
//1//
कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में
भारत मा का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |
भारत मा का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |
//2//
हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए
चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |
हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए
चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |
//3//
बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली
उस मा को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |
बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली
उस मा को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |
//4//
किसकी राह देख रहा , तुम खुद सिपाही बन जाना
सरहद पर ना सही , सीखो आंधियारो से लढ पाना |
किसकी राह देख रहा , तुम खुद सिपाही बन जाना
सरहद पर ना सही , सीखो आंधियारो से लढ पाना |
//5//
इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है |
इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है |
//6//
विकसित होता राष्ट्र हमारा , रंग लाती हर कुर्बानी है
फक्र से अपना परिचय देते,हम सारे हिन्दोस्तानी है |
विकसित होता राष्ट्र हमारा , रंग लाती हर कुर्बानी है
फक्र से अपना परिचय देते,हम सारे हिन्दोस्तानी है |
आओ झुकर सलाम करे उनको जिनके हिस्से मे ये मुकाम आता है,
खुसनसीब है वो खून जा देश के काम आता है..!!
खुसनसीब है वो खून जा देश के काम आता है..!!
जिन्हें है प्यार वतन से, वो देश के लिए अपना लहू बहाते हैं,
माँ की चरणों में अपना शीश चढ़ाकर, देश की आजादी बचाते हैं,
देश के लिए हँसते-हँसते अपनी जान लुटाते हैं..!!
कभी सनम को छोड़ के देख लेना, कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!
कभी सनम को छोड़ के देख लेना, कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!
ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं शासक कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता..!!
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं शासक कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता..!!
जब देश में थी दिवाली..... वो खेल रहे थे होली...
जब हम बैठे थे घरो में...... वो झेल रहे थे गोली...
क्या लोग थे वो अभिमानी...
है धन्य उनकी जवानी.........
जो शहीद हुए है उनकी... ज़रा याद करो कुर्बानी...
ए मेरे वतन के लोगो... तुम आँख में भर लो पानी..!!
जब हम बैठे थे घरो में...... वो झेल रहे थे गोली...
क्या लोग थे वो अभिमानी...
है धन्य उनकी जवानी.........
जो शहीद हुए है उनकी... ज़रा याद करो कुर्बानी...
ए मेरे वतन के लोगो... तुम आँख में भर लो पानी..!!
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